जो कुछ भी नहीं कर सकते, उन सब अयोग्यों के लिये राजनीति है !



राजनीति तो उनके लिये है जिनके लिये कुछ और नहीं । जो मूर्ति नहीं बना सकते, जो चित्र नहीं रंग सकते, जो गीत नहीं गा सकते, जो कुछ भी नहीं कर सकते, उन सब अयोग्यों के लिये राजनीति है । आखिर अयोग्यों के लिये भी तो कुछ होना चाहिए । जिनमें और कोई योग्यता नहीं है उनमें राजनीति की योग्यता होती है । राजनीति के लिये बुद्धि नहीं चाहिए । क्योंकि बुद्धिमान आदमी इतनी बेईमानी नहीं कर सकता, कुछ तो सोचेगा, बुद्धिमान आदमी इतने धोखे नहीं दे सकता । कुछ तो विचारेगा, बुद्धिमान आदमी इतने झूठ नहीं बोल सकता, आखिर खुद की आत्मा कचोटेगी । और राजनीति तो सिर्फ झूठे आश्वासन हैं । सिर्फ झूठ पर झूठ । अत्यंत सोई हुई चेतना चाहिए राजनीति में सफल होने के लिये । ©OSHO

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“Every step towards your village is a step back to your own being.” ---SatBhim

“परमआनन्दपूर्ण जीवन जिउने त्रि-सूत्र- अन्तरमुखी हुनु (मौन) , वैराग्य हुनु (जिज्ञासु) र एकान्तवासी हुनु (एकाग्र) हो। मौनताले आत्मज्ञान खुलाउँछ, वैराग्यताले मायामोहबाट मुक्त गराउँछ र एकान्तवासले सिर्जनशील शक्ति बढाउँछ।”---SatBhim