The Sweet Fruit of Compassion: A Story of Buddha



गौतम बुद्ध किसी उपवन में विश्राम कर रहे थे। तभी बच्चों का एक झुंड आया और पेड़ पर पत्थर मारकर आम गिराने लगा। एक पत्थर बुद्ध के सर पर लगा और उस से खून बहने लगा। बुद्ध की आँखों में आंसू आ गये। बच्चों ने देखा तो भयभीत हो गये। उन्हें लगा कि अब बुद्ध उन्हें भला बुरा कहेंगे। बच्चों ने उनके चरण पकड़ लिए और उनसे क्षमा याचना करने लगे। उनमे से एक बच्चे ने कहा- ‘हमसे बड़ी भूल हो गई है। मेरी वजह से आपको पत्थर लगा और आपके आंसू आ गये।

इस पर बुद्ध ने कहा- ‘बच्चों, मैं इसलिए दुखी हूँ की तुमने आम के पेड़ पर पत्थर मारा तो पेड़ ने बदले में तुम्हे मीठे फल दिए, लेकिन मुझे मारने पर मै तुम्हे सिर्फ भय दे सका।

Source: Diamond Sutras (OSHO)

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“Every step towards your village is a step back to your own being.” ---SatBhim

“परमआनन्दपूर्ण जीवन जिउने त्रि-सूत्र- अन्तरमुखी हुनु (मौन) , वैराग्य हुनु (जिज्ञासु) र एकान्तवासी हुनु (एकाग्र) हो। मौनताले आत्मज्ञान खुलाउँछ, वैराग्यताले मायामोहबाट मुक्त गराउँछ र एकान्तवासले सिर्जनशील शक्ति बढाउँछ।”---SatBhim